Sahitya-Sanskriti Pravah (साहित्य – संस्कृति – प्रवाह)
₹300.00
डॉ रोचना जी भारती एक ऐसी विदुषी हैं जो नासिक के हिंदी सभा मण्डल की क्रियाशील ओहदेदार हैं । दूसरी विशेषता यह है कि प्रस्तुत ग्रंथ में लेखिका ने कुछ विषयों को धैर्य के साथ प्रस्तुत किया है । यह सभी निबन्ध पढ़ने के पश्चात् मुझे ऐसा लगा कि कहीं मैं हिंदी ज्ञानपीठ पुरस्कृत आदरणीया सुश्री महादेवी वर्मा जी की पुस्तक तो नहीं पढ़ रहा हूं ? प्रस्तुत ग्रंथ में मुझे हिंदी के सम्माननीय श्री हजारी प्रसाद जी द्विवेदी तथा श्री विद्यानिवास जी मिश्र के निबन्धों जैसे मौलिक अंश स्पष्ट दृष्टिगोचर हुए। मैंने महोदया के साहित्य संस्कृति प्रवाह को आद्योपान्त पढ़ा है और मेरा यह अभिमत बना है कि इस ग्रंथ को महाराष्ट्र के किसी विश्वविद्यालय में संदर्भ ग्रंथ के रूप में यथोचित मान्यता मिल सकती है, इतना ही नहीं जो छात्र संस्कृत भाषा का तुलनात्मक अनुसंधान करेगा, उसके लिए यह ग्रंथ निश्चित ही लाभप्रद होगा । निरंतर लेखन से जुड़ी एक मात्र लेखिका हैं जिन्होंने वैदिक विदुषी गार्गी-मैत्रेयी की तरह ही साहित्य-संस्कृति में योगदान दिया है ।
Additional information
Weight | 0.340 kg |
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Dimensions | 21 × 14 × 1.3 cm |